RAAT KAWARI HAI
VERSE 1: रात कँवारी है ख़्वाबों की मारी है अपनों से हारी है बार-बार दिल लगा के पास वो आती है दूर भी जाती है कितना सताती है थोड़ा-थोड़ा मुस्कुरा के रोज़ ही, रोज़ ही, रोकती ना जाने क्यूँ हर दफ़्फ़ा, हर घड़ी, टोकती ना जाने क्यूँ जैसे है ये लड़ी सौ […]