O mister मलँग
कट गयी पतंग
घर में लगी आग
और दरवज्जा बँद
O mister मलँग
कट गयी पतंग
घर में लगी आग
और दरवज्जा बँद
क्यूँ… उखड़े-उखड़े हो
और मुखड़े-वुखड़े को
लगा है नया रंग
दिल… टुकड़े टुकड़े जी
और दुखड़े-वुखड़े की
खुद गयी लम्बी सुरंग
तुम धीरे धीरे धीरे धीरे राज्जा
कहीं के ना रहे
यूँ बजते बजते बजते बज गया बाजा
कहीं के ना रहे
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तुम चाँद पकड़ने निकले
और ग्रहण लगा क़िस्मत को
ये टूटा दिल क्या जोड़ो
जब जोड़ ना पाए हिम्मत को
मन के भीतर, तन के भीतर
हैं घाव करारे देख लो
सपनों के सब, उड़ गए तीतर
अब दिन में तारे, देख लो
हाँ, हुयी सीट्टी-पिट्टी गुम
दबा के अपनी दुम
छोड़ो मैदान-ए-जंग
अरे क्या आपा-धापी है
सब घायल साथी हैं
अब ना बनो दबंग
तुम धीरे धीरे धीरे धीरे राज्जा!
कहीं के ना रहे…
यूँ बजते बजते बजते बज गया बाजा!
कहीं के ना रहे…
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यहाँ के ना रहे
वहाँ के ना रहे
कहीं के ना रहे
इधर के ना रहे
उधर के ना रहे
अरे ओ O mister मलँग
तुम कहीं के ना रहे
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©mayurpuri
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